आपने देखा तो होगा ही, आकाश का नीला रंग! कितना मनभावन होता है। सूर्योदय भी बहुत लुभावना होता है। अग्नि का लाल गोला जब समुद्र से उदय होता है, तो बहुत सुंदर दृश्य होता है। ना जाने कितने ही कवियों ने नीले अम्बर और लाल सूर्य पर ढेरों रचनाएँ लिखीं हैं। किंतु क्या आपने कभी सोचा है कि आख़िर आकाश कर रंग नीला ही क्यों? उगते और ढलते सूर्य का रंग लाल ही क्यों?
अगली बार जब हम लिखेंगे तो आपको बताने का प्रयत्न करेंगे कि ऐसा क्यों होता है। आप सोचने का प्रयास कीजिये और यदि आपकी मस्तिष्क में कोई घंटी बजती है तो टिप्पणी के रूप में लिख दीजिये।
सोचने के लिए कोई संकेत चाहिए तो ............ बताईये कि इन्द्रधनुष में कितने रंग होते हैं?
अगली बार जब हम लिखेंगे तो आपको बताने का प्रयत्न करेंगे कि ऐसा क्यों होता है। आप सोचने का प्रयास कीजिये और यदि आपकी मस्तिष्क में कोई घंटी बजती है तो टिप्पणी के रूप में लिख दीजिये।
सोचने के लिए कोई संकेत चाहिए तो ............ बताईये कि इन्द्रधनुष में कितने रंग होते हैं?
2 comments:
अमित जी, आपका ब्लॉग देखकर बहुत अच्छा लगा. बड़ी ज्ञानवर्धक बातें बताई हैं. आप तो कनाडा में है, कभी बातचीत भी होगी.
आपका ब्लॉग बहुत रोचक है. कृप्या प्रयास कर नियमित लिखें. नववर्ष की मंगलकामनाऐं.
आजकल भारत आया हुआ हूँ.
आपने बांधवगढ़ के बारे में जिज्ञासा व्यक्त की तो वह मध्यप्रदेश में जबलपुर से २०० किमी दूर स्थित नेशनल पार्क है.
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