
हम फिर से आ गए हैं, इस बार आपको मधुमक्खियों के छत्ते में से कुछ विज्ञान की बातें बताने। मधुमक्खियाँ फूलों के रस से शहद का निर्माण करती हैं और उससे अपने छत्ते में जमा करके रखती हैं, जिससे सर्दी के मौसम में उनके पास खाने-पीने की कमी न हो। मधुमक्खियों का छत्ता मोम से बनता है और १ ग्राम मोम बनाने के लिए मधुमक्खी १६ ग्राम शहद का प्रयोग करती हैं। यह छत्ता मधुमक्खियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके प्रत्येक कोष्ठ का प्रयोग मधुमक्खियाँ अपने बच्चों (लार्वा) को रखने और शहद को जमा करने के लिए करतीं हैं।
इस चित्र को ध्यान से देखिये, ये मधुमक्खी का छत्ता है। इसमें हरेक कोष्ठ की दीवारें इस प्रकार बनी होतीं हैं की वे एक दूसरे को १२० डिग्री के कोण पर काटती हैं और एक व्यापक षट्कोण सममिति के साथ छत्ता बनाती हैं। सराहना योग्य बात ये है की मधुमक्खियाँ हरेक कोष्ठ को बिल्कुल सही दूरी पर और एकदम सटीक कोण पर बनाती हैं। ये वाकई में प्रशंसनीय है। मधुमक्खियाँ बिना इंजीनियरिंग पढ़े हुए भी अच्छी अभियंता होतीं हैं। किंतु, मधुमक्खी के छत्ते के कोष्ट षट्कोण आकार के होते क्यों हैं?
यही प्रश्न बहुत से वैज्ञानिकों के मस्तिष्क में भी आया और इस पर शोध किया गया। विज्ञानी यान ब्रोजेक के अनुसार इस प्रकार बनाया गया ढांचा, निश्चित आयतन में कम से कम मोम का उपयोग करके बनाया जा सकता है। जी हाँ!! मधुमक्खियों से मनुष्य ने सीखा कि कैसे कम से कम सामग्री का उपयोग करके अधिक से अधिक मजबूत ढाँचे बनाये जा सकते हैं। इस प्रकार बनाये गए honeycomb panels का विस्तृत अनुप्रयोग , फर्नीचर आदि उद्योगों में किया जाता है जहाँ मजबूत (आसानी से न मुड़ने वाले) और हलके तख्तों की आवश्यकता होती है।
तो ये था मधुमक्खियों से सीखा हुआ सबक। आगे भी आपको ऐसी ही जानकारियों से अवगत कराते रहेंगे। यदि आपको ये जानकारी रोचक लगी हो तो जरूर बताइयेगा।
5 comments:
उत्तम जानकारी | आभार |
बढिया जानकारी है।आभार।
आशा है ऐसे ही ज्ञानवर्धक जानकारी इस ब्लाग से मिलती रहेंगी ।
विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनांयें
rochak jankari..sundar pryas jari rakhen
ज्ञानवर्धक जानकारी। आभार।
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