जानकर अच्छा लगा की कई लोगों को हमारे इस पोस्ट की प्रतीक्षा थी| लीजिये हम आ गए हैं आपको इस जानकारी से अवगत करवाने|
बिल्लियाँ एक ऐसा प्राणी हैं, जो अद्भुत रूप से अपने शरीर को हवा में ही घुमा सकती हैं और नीचे गिरने से पहले अपने शरीर को इस प्रकार संयोजित कर सकती हैं कि चोट कम से कम लगे| (नेशनल ज्योग्रफ़िक पर इसका एक विडियो देखने के लिए यहाँ चटका लगायें।) यही कारण है कि बिल्लियों को ऊँचाई से बिल्कुल भी डर नहीं लगता और वो ऊंची इमारतों की खिड़कियों से अपने शिकार को देखते ही झपट पड़ती हैं| कई वैज्ञानिकों को बिल्लियों के इस व्यवहार पर आश्चर्य हुआ तो इस पर शोध किया गया| बिल्लियों के इस व्यवहार को high-rise syndrome कहा जाता है| शोध में ये पाया गया कि २ से ३२ मंजिला इमारतों से गिरने पर ९० प्रतिशत बिल्लियाँ बच गयीं| और आश्चर्यजनक बात ये थी कि जो बिल्लियाँ ६ मंजिल या उससे कम ऊँचाई से गिरीं थीं उनको चोटें ज्यादा आयीं थीं (यहाँ देखें)।
इसको समझने से पहले आईये समझते हैं सीमान्त चाल (terminal speed) को| जब कोई वस्तु हवा में नीचे गिराई जाती है तो कुछ समय तक (गुरुत्वाकर्षण के कारण) उसकी चाल बढती जाती है, किंतु कुछ समय के पश्चात् उस पर लगने वाला (ऊर्ध्व नीचे की ओर) गुरुत्वाकर्षण बल, हवा के कर्षण के कारण (ऊर्ध्व ऊपर के की ओर) लगने वाले बल के बराबर हो जाता है और इसके बाद उस वस्तु की चाल बढ़ना बंद हो जाती है। इस स्थिर चाल को ही सीमान्त चाल कहते हैं। बिल्लियों के मामले में ये पाया गया कि लगभग ५ मंजिल गिरने के बाद उनकी चाल सीमान्त चाल तक पहुँच जाती है। तो जो बिल्लियाँ ६ मंजिल या उससे अधिक ऊँचाई से गिरती हैं, उनकी चाल सीमान्त चाल तक पहुँच जाती है और फ़िर उनको अपने आपको संयोजित करने का समय मिल जाता है। जबकि जो बिल्लियाँ ६ मंजिल से कम ऊँचाई से गिरती हैं, वो सीमान्त चाल तक पहुँचने से पहले ही धरती से टकरा जाती हैं और अपने शरीर को संयोजित नहीं कर पातीं।
तो ये हुए वैज्ञानिक कारण!
अब किसी भी शोध के पश्चात् उसके निष्कर्षों से अपने हाथ धो लेना वैज्ञानिकों कि पुरानी आदत है। तो इसी प्रकार इस शोध के बाद भी वैज्ञानिकों का कहना है कि अधिक ऊँचाई से गिरने पर मारी जाने वाली बिल्लियाँ पशु विशेषज्ञ के पास नहीं ले जाई गई होंगी और इस प्रकार अधिक ऊँचाई से गिरकर मरने वाली बिल्लियाँ शायद इस शोध का हिस्सा ही ना रहीं हों (देखें)।
साभार: http://en.wikipedia.org/wiki/High-rise_syndrome
बिल्लियाँ एक ऐसा प्राणी हैं, जो अद्भुत रूप से अपने शरीर को हवा में ही घुमा सकती हैं और नीचे गिरने से पहले अपने शरीर को इस प्रकार संयोजित कर सकती हैं कि चोट कम से कम लगे| (नेशनल ज्योग्रफ़िक पर इसका एक विडियो देखने के लिए यहाँ चटका लगायें।) यही कारण है कि बिल्लियों को ऊँचाई से बिल्कुल भी डर नहीं लगता और वो ऊंची इमारतों की खिड़कियों से अपने शिकार को देखते ही झपट पड़ती हैं| कई वैज्ञानिकों को बिल्लियों के इस व्यवहार पर आश्चर्य हुआ तो इस पर शोध किया गया| बिल्लियों के इस व्यवहार को high-rise syndrome कहा जाता है| शोध में ये पाया गया कि २ से ३२ मंजिला इमारतों से गिरने पर ९० प्रतिशत बिल्लियाँ बच गयीं| और आश्चर्यजनक बात ये थी कि जो बिल्लियाँ ६ मंजिल या उससे कम ऊँचाई से गिरीं थीं उनको चोटें ज्यादा आयीं थीं (यहाँ देखें)।
इसको समझने से पहले आईये समझते हैं सीमान्त चाल (terminal speed) को| जब कोई वस्तु हवा में नीचे गिराई जाती है तो कुछ समय तक (गुरुत्वाकर्षण के कारण) उसकी चाल बढती जाती है, किंतु कुछ समय के पश्चात् उस पर लगने वाला (ऊर्ध्व नीचे की ओर) गुरुत्वाकर्षण बल, हवा के कर्षण के कारण (ऊर्ध्व ऊपर के की ओर) लगने वाले बल के बराबर हो जाता है और इसके बाद उस वस्तु की चाल बढ़ना बंद हो जाती है। इस स्थिर चाल को ही सीमान्त चाल कहते हैं। बिल्लियों के मामले में ये पाया गया कि लगभग ५ मंजिल गिरने के बाद उनकी चाल सीमान्त चाल तक पहुँच जाती है। तो जो बिल्लियाँ ६ मंजिल या उससे अधिक ऊँचाई से गिरती हैं, उनकी चाल सीमान्त चाल तक पहुँच जाती है और फ़िर उनको अपने आपको संयोजित करने का समय मिल जाता है। जबकि जो बिल्लियाँ ६ मंजिल से कम ऊँचाई से गिरती हैं, वो सीमान्त चाल तक पहुँचने से पहले ही धरती से टकरा जाती हैं और अपने शरीर को संयोजित नहीं कर पातीं।
तो ये हुए वैज्ञानिक कारण!
अब किसी भी शोध के पश्चात् उसके निष्कर्षों से अपने हाथ धो लेना वैज्ञानिकों कि पुरानी आदत है। तो इसी प्रकार इस शोध के बाद भी वैज्ञानिकों का कहना है कि अधिक ऊँचाई से गिरने पर मारी जाने वाली बिल्लियाँ पशु विशेषज्ञ के पास नहीं ले जाई गई होंगी और इस प्रकार अधिक ऊँचाई से गिरकर मरने वाली बिल्लियाँ शायद इस शोध का हिस्सा ही ना रहीं हों (देखें)।
साभार: http://en.wikipedia.org/wiki/High-rise_syndrome
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