Wednesday, October 01, 2008

बिल्लियों के गिरने के पीछे का विज्ञान

आईये आज आपको एक रोचक जानकारी से अवगत कराते हैं|

क्या आपको पता है की बिल्लियों का ऊँचाई से गिरना एक प्रकार से रोचक है? बिल्ली एक ऐसा प्राणी है जिसे ऊँचाई से डर नही लगता क्योंकि इसमें एक अद्भुत क्षमता है गिरते समय अपने आपको घुमा लेने की| और येही कारण है कि बिल्लियाँ बहुत ऊँचाई से गिरते हुए भी चोट नहीं खातीं| किंतु इससे भी रोचक तथ्य ये है, कि यदि बिल्ली को कम ऊँचाई (५-६ मंजिल) से गिराया जाए तो उन्हें बहुत चोटें आने कि सम्भावना रहती है, बजाय इसके कि उन्हें ७ मंजिल या उससे भी ज्यादा ऊँचाई से गिराया जाए|
है ना रोचक बात? आप सोचिये कि ऐसा क्यों हो सकता है? जब हम अगली बार लिखेंगे तो आप को विस्तार से बताएँगे कि ऐसा क्यों होता है|

4 comments:

जितेन्द़ भगत said...

वाकई रोचक, अगली पोस्‍ट का इंतजार रहेगा।

Kavita Vachaknavee said...

अमित,
अभी हिन्दी फ़ोरम पर चिट्ठे को प्रचरित करने का उपाय पूछने वाला तुम्हारा सन्देश पढ़ा।

इसका एक ही उपाय है कि सर्वप्रथम अपने इस ब्लॊग को ब्लॊगवाणी, चिठाजगत्,हिन्दी ब्लॊग्स् आदि अग्रेगेटर्स पर रजिस्टर्ड करवा लो। ऐसा होने पर स्वत्: सभी प्रविष्टियाँ वहाँ अद्यतन होती आ जाएँगी। वहीं से लोग दूस्रों के चिठ्थे पर क्या लिखा गया है, देखते हैं। वे लोग एक कोड देंगे उसे अपने ब्ळोग पर लगाना होगा। उदाहरण के लिए मेरे सभी ब्लॊग पर लगे उनके बैनर को देख सकते हो। दूसरे सभी चिट्ठों पर भी ये दिखाई देंगे।

तुम्हारे चिट्ठे को लोग पढ़े व कुछ लिखें इसके लिए अन्य अनेक बातों के साथ सबसे जरूरी यह भी है कि तुमहारी चिठ्ठे की सामग्री व शीर्षक ऐसा हो जो दूसरों को पढ़ने व टिपियाने के लिए आवश्यक जान पड़े। फिर यह भी है कि तुम स्वयम् कितने लोगों को पढ़ते व उन पर प्रतिक्रिया करते हो।

वस्तुत: सभी चाह्ते हैं कि उसका लिखा तो दूसरे पढ़ें किन्तु वे स्वयम् किसी का लिखा नहीं पढ़ते।

वैसे सबसे अच्छा तो यह है टिप्पणियों की चिन्ता न करते हुए सार्थक व उत्तम लेखन किया जाए। निरन्तरता बनाए रखी जाए व अधिकाधिक लोगों से सम्बद्ध व उनके लिए महतपूर्ण लगने वाले विषय पर सामग्री उपलब्ध करवाई जाए।

टिप्पणी की चिन्ता छोड़ कर श्रेष्ठ लेखन व आत्मीयता ही वे मूल तत्व हैं जो चिट्ठे को लोकप्रिय बना सकते हैं।

अनुनाद सिंह said...

अमित जी,

सबसे पहले हिन्दी ब्लागजगत में आपका स्वागत है।

बिल्लियों के बारे में यह तथ्य सचमुच बहुत रोचक है।


इसी के साथ आपसे निवेदन है कि आप हिन्दी विकिपीडिया ( http://hi.wikipedia.org/ ) पर भी योगदान करें। भौतिकी, विज्ञान की आत्मा है। हिन्दी विकिपिडिया पर आप भौतिकी के २०-२५ महत्वपूर्ण उपविषयों (टापिक्स) पर लेखों का योगदान करें तो हिन्दी को चार कदम आगे बढ़ने में मदद मिलेगी। आप विद्वान हैं; आप जैसे लोग नहीं करेंगे तो हिन्दी विकिपिडिया में 'क्वालिटी' नहीं आयेगी।

मथुरा कलौनी said...

अमित जी
आपकी अगली पोस्‍ट की प्रतीक्षा रहेगी