आज बैठे बैठे कुछ पुराने मित्रों के चिठ्ठे देख रहा था तो याद आया की एक बार हमने भी चिठ्ठा लिखने की सोची थी और
कुछ तो लिखा भी था. फ़िर से अपना चिठ्ठा खोल के देखा तो लगभग २ साल पहले का लिखा हुआ चिठ्ठा अभी भी मौजूद है.
अफजल को तो अब तक फांसी नहीं हुई है, किंतु हमारे जीवन में बहुत बदलाव आ गए है. हम अब शादीशुदा मनुष्य हैं
और बंगलोर से पीएचडी पूरी करके कनाडा में आगे का शोध कार्य कर रहे हैं. ऐसा लगता है जैसे कल की सी बात है जब हमने
पिछली बार अफजल के बारे में लिखा था. पूरे २ साल होने को आए अब.
चलिए, अब कोशिश करेंगे की लिखते रहे.
आप लोग पढ़ते रहिये और अपनी टिप्पणियाँ लिखते रहिये जिससे हमें लिखने में और भी ज्यादा मजा आए.
Wednesday, September 24, 2008
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