Thursday, October 05, 2006

क्या अफजल को दी जा रही फाँसी की सजा को उम्र कैद में बदल दिया जाना चाहिये? ये बहस आजकल देश में चल रही है। मेरा सोचना है कि यदि अफजल को तुरंत फाँसी नहीं दी
गयी तो बाकी उग्रवादियों के हौसले बुलन्द होंगे। मेरा तो मानना है कि गिलानी को भी इस काण्ड के लिये कङी से कङी सजा मिलनी चाहिये। अाज भारत आतंकवाद से बुरी तरह जूझ
रहा है। इसका सीधा संबंध पाकिस्तान से है, हम किसी भी हालत में पाकिस्तान से समझौता कर ही नहीं सकते। अब यह बात भी शीशे की तरह साफ है कि मुंबई बम धमाकों का सीधा
संबंध पाकिस्तान से है। हमारी सरकार को चाहिये, कि सबूत सीधे पाकिस्तान को न सौंप कर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को सौंपे, जिससे पाकिस्तान पर कार्रवाई करने का दवाब
बढे। आजतक दिये गये सारे सबूतों को पाकिस्तान नकारता आ रहा है, सभी लोग जानते हैं कि दाऊद पाकिस्तान में है और यदि पाकि्सतान चाहे तो उसे आसानी से गिरफ्तार कर
सकता है, किन्तु नहीं, अपनी आदतों के मुताबिक पाक उसे पालता आ रहा है। इसी प्रकार इस बार हुए धमाकों के सबूत भी यदि पाकिस्तान को सौंप दिये गये तो भी पाकिस्तान
उन सबूतों को ही नकार देगा। इसके अलावा बहुत संभव है कि पाक इन सबूतों को आतंकवादियों के हवाले कर दे ताकि आगे के लिये वो लोग और भी सचेत हो जायेॅ। इस प्रकार
भारत की समस्याएं और भी बढ जाएंगी।

Tuesday, October 03, 2006

मनोदशा

जीवन में कब क्या हो जाये, कुछ पता नहीं है। कभी कभी एसा हो जाता है कि हम सोच भी नहीं सकते। मन में कुछ बातें सोचने के लिये जगह भी नहीं होती और वो बातें हो जाती हैं।
फिर मन उन तथ्यों को मानने के लिये तैयार ही नहीं होता है । लेकिन वैसा हो चुका होता है, और वही सचाई होती है, फिर भी अनतर्मन में एक द्वंद सा चलता रहता है। यकीन नहीं होता की एसा हो चुका है। यही जीवन है।